सप्तक के 12 स्वरों में से 7 स्वरों का क्रमानुसार समुदाय जैसे
सा रे ग म प ध नी को सप्तक माना जाता है ।
प्राचीन ग्र्ंथो में मेल शब्द का प्रयोग किया गया है ।

ठाठ के कुछ महत्वपूर्ण नियम
- प्रत्येक ठाठ में केवल 7 ही स्वर होंगे ,ना 7 से ज़्यादा और ना ही कम
- ठाठ के स्वर क्रम अनुसार होंगे ,जैसे सा रे ग म प ध नी
- किसी भी स्वर को थाट में दोहराया नहीं जाएगा जेसे -सा रे रे ग /या किसी भी अन्य तरीक़े से
- ठाठ को गाया बजाया नहीं जाता ये केवल समझने और समझाने कि लिए होता है ।
- राग को उत्न्प्न्न करने की विधि में ठाठ का एक महत्वपूर्ण योगदान है ।
हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति में आजकल 10 ठाट माने जाते हैं। आधुनिक काल में स्व. विष्णु नारायण भातखण्डे ने ठाट-पद्धति को प्रचार में लाने की कल्पना की और ठाटों की संख्या को 10 माना है। ठाटों के नाम और स्वर निम्नलिखित हैं–
- बिलावल ठाठ - सा रे ग म प ध नी सां
- कल्याण - सा रे ग मे प ध नी सां
- खमाज -सा रे ग म प ध नी सां
- भैरव - सा रे ग म प ध नी सां
- काफ़ी -सा रे ग म प ध नी सां
- मरवा - सा रे ग मे प ध नी सां
- पूर्वी - सा रे ग म प ध नी सां
- असावरी -सा रे ग म प ध नी सां
- तोड़ी -सा रे ग मे प ध नी सां
- भैरवी -सा रे ग म प ध नी सां
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