Thursday, 6 August 2020

thath of north indian music





थाट 

सप्तक के 12 स्वरों में से 7 स्वरों का क्रमानुसार समुदाय जैसे 
सा रे ग म प ध नी को सप्तक माना जाता है ।
प्राचीन ग्र्ंथो में मेल शब्द का प्रयोग किया गया है ।

ठाठ के कुछ महत्वपूर्ण नियम 
  1. प्रत्येक ठाठ में केवल 7 ही स्वर होंगे ,ना 7 से ज़्यादा और ना ही कम 
  2. ठाठ के स्वर क्रम अनुसार होंगे ,जैसे सा रे ग म प ध नी 
  3. किसी भी स्वर को थाट में दोहराया नहीं जाएगा जेसे -सा रे रे ग /या किसी भी अन्य तरीक़े से 
  4. ठाठ को गाया बजाया नहीं जाता ये केवल समझने और समझाने कि लिए होता है ।
  5. राग को उत्न्प्न्न करने की विधि में ठाठ का एक महत्वपूर्ण योगदान है ।
हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति में आजकल 10 ठाट माने जाते हैं। आधुनिक काल में स्व. विष्णु नारायण भातखण्डे ने ठाट-पद्धति को प्रचार में लाने की कल्पना की और ठाटों की संख्या को 10 माना है। ठाटों के नाम और स्वर निम्नलिखित हैं–

  1. बिलावल ठाठसा रे ग म प ध नी सां
  2. कल्याण सा रे ग मे प ध नी सां
  3. खमाज -सा रे ग म प ध नी सां
  4. भैरवसा रे ग म प  नी सां 
  5. काफ़ी -सा रे  म प ध नी सां
  6. मरवासा  रे ग मे प ध नी सां 
  7. पूर्वी - सा  रे ग म प  नी सां 
  8. असावरी -सा  रे  ग म प  नी सां
  9. तोड़ी -​सा रे  मे प  नी सां  
  10. भैरवी -​सा रे  म प  नी सां  
 


No comments:

Post a Comment