उत्तर भारतीय संगीत में तानपपूरे का महत्वपूर्ण स्थान है, क्यूँकि यह कलाकार को निश्चित स्वर देता है जिसे कलकारो को सुर में गाने या बजाने में सहायता मिलती है और मधुर अनुकूल वातावरण का निर्माण भी होता है ।
तानपुरे के तार
तानपुरे में 4 तार होते है ।
प्रथम तार को मंद्र पंचम से अथवा रागों के अनुकूल किसी निश्चित स्वर में मिलाया जाता है ।
जैसे मालकाउंस राग में मध्यम
पूरियाँ में निषाद ।
तानपुरे के दूसरे और तीसरे तार हमेशा मध्य सप्तक के षडज में मिलाय जाते है ।और चौथा तार मंद्र षडज में मिलाया जाता है ।
- तुम्बा
- तबली
- ब्रिज
- सूत
- कील /मोगरा/लंगोट
- पत्तियाँ
- गूल
- डाँड
- अटक
- तार
- मानक
very valuable knowledge sir.
ReplyDeleteThanks you so much
ReplyDeleteAmazing 😍
ReplyDeleteSo much is there to learn. To chimay sir
ReplyDeleteVery blessed to learn from you and we look forward to see more and more
Valuable knowledge sir🙏🏻
ReplyDeleteThanks you sir
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